इस उम्र के बाद 50 फीसदी लोगों में होता है बोन फ्रैक्चर का खतरा, जानें वजह

इस उम्र के बाद 50 फीसदी लोगों में होता है बोन फ्रैक्चर का खतरा, जानें वजह

सेहतराग टीम

50 वर्ष की आयु के बाद शरीर की अस्थियां कमजोर होने लगती हैं। इसे अस्थि भंगुरता या अस्थि क्षरण कहते हैं। इसमें हड्डियां पतली और खोखली होने लगती हैं और इतनी कमजोर व भंगुर हो जाती है कि झुककर किसी वस्तु को उठाने या साधारण भार पडने अथवा मामूली सी चोंट लगने पर भी अस्थि-भंग (बोन फ्रैक्चर) हो जाता है। अस्थि मृदुता रोग कैल्शियम, फ़ास्फ़ोरस व अन्य तत्व की कमी हो जाने से होता है। इन तत्वों की कमी से अस्थि-घनत्व (बोन डेन्सिटी) का स्तर गिर जाता है। यह रोग पुरुषों की बजाय महिलाओं में ज्यादा होता है।विशेष रूप से कूल्हे, रीढ़ की हड्डी और कलाई की हड्डी में फ्रैक्चर की संभावना अधिक होती है। ऐसी स्थिति में जरा-सी चोट लगने या कहीं टकराने पर भी हड्डी टूट सकती है।

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हेल्थ एक्सपर्ट अनुसार ऑस्टियोपोसिस के कारण हड्डी टूटने की संभावना 50 फीसदी लोगों में होती है, जबकि स्तन कैंसर की संभावना 9 फीसदी लोगों में और दिल की बीमारियों की संभावना 31 फीसदी लोगों में होती है। ऑस्टियोपोसिस के कारण हड्डी टूटना एक बड़ी समस्या है, जो अक्सर उम्र बढ़ने के साथ गंभीर होती जाती है।

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बोन फ्रैक्चर होने की वजह-

  • अधिक आयु होना। 
  • शरीर का वजन कम होना।
  • अंग्रेजी दवाओं का इस्तेमाल भी इसका एक कारण हैं।
  • महिलाओं में ऋतु निवृत्ति होने पर एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर गिरने लगता है। एस्ट्रोजन हार्मोन हड्डियों की मजबूती के लिये अति आवश्यक हार्मोन होता है।
  • थायरॉईड हारमोन।
  • कोर्टिकोस्टराईड दवाएं लंबे समय तक उपयोग करना ।
  • भोजन में केल्सियम तत्व की कमी होना।
  • तम्बाकु और शराब का अधिक सेवन करना
  • केमोथिरेपी।

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इसका इलाज कुदरती पदार्थों से करना आसान है। डेयरी उत्पादों जैसे दूध, चीज, योगर्ट, हरी पत्तेदार सब्जियां, ब्रोकोली, सॉफ्ट बोन फिश में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है। इसके अलावा विटामिन डी भी बहुत जरूरी है। यह कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है। फोर्टीफाईड आहार, नमकीन पानी में रहने वाली मछली और लिवर में विटामिन डी भरपूर मात्रा में होता है।

 

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